संभल: कंधे पर लाश नहीं मिला स्ट्रेचर ,,,,, गरीबों को स्वास्थ्य विभाग में सहायता के बजाय फटकार मिलती हैं,,,,, घायल व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर कोई मदद नही मिलती ,,,,,और न ही शव ले जाने के लिए कोई वाहन ,,,,,कंधे पर ले जाना पडता है शव ,,,,,,।
स्वास्थ्य महकमे का संभल में ये हाल है कि अस्पताल से लाश बाहर ले जाने को स्वास्थ्य महकमा स्ट्रेचर भी नहीं देता है l योगी सरकार कितने भी प्रयास कर ले लेकिन संभल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सुधरने को तैयार नही है l इस विभाग में गरीबों को मदद के बजाय फटकार मिलती है उसका जुर्म गरीब होना है ।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुई है जी हाँ बहजोई कोतवाली के गाँव सादातबाडी के हरिशचंद्र का धेवता सूरजपाल (निवासी जनपद बुलंदशहर ) अपने नाना के साथ खेत पर मिटटी की कुइयां साफ कर रहा था l अचानक मिट्टी सूरजपाल के ऊपर आकर गिरी और सूरजपाल मिट्टी में दब गया ऊपर बैठे नाना के शोर मचाने पर खेतों पर काम कर रहे लोगों ने दौड़ कर बचाने का प्रयास काफी कोशिश के बाद सूरजपाल को बाहर निकाला जा सका । उसके ननिहाल के लोगों ने एंबुलेंस के लिए काफी प्रयास किया लेकिन फोन न उठने के कारण एंबुलेंस नही मिली तो अपनी मोटरसाइकिल से ही उसे सरकारी अस्पताल बहजोई ले कर आए l
डाॅक्टर ने सूरजपाल को देखते ही मृत घोषित कर दिया । जब उसे मोटरसाइकिल से उतारा जा रहा था तब कोई भी सरकारी स्वास्थ्य महकमे का कर्मचारी मदद के लिए आगे नही आया और न ही उसे स्ट्रेचर मिला कंधे पर लाद कर परिजनों ने अस्पताल में पहुँचाया। डाॅक्टर के मृत घोषित करने पर भी परिजनों को वहां की जगह फटकार मिली और मृतक के परिजनों को शव कंधे पर ही लादकर अस्पताल से बाहर निकले
उधर शव को घर ले जाने को कोई कोई वाहन न मिलता देख परिजन शव को मोटरसाइकिल पर ही लादकर घर ले गए । जब इस बारे में जनपद की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अमिता सिंह से बात की गई देखिए सीमओ अपने विभाग जबाबदेही के प्रति कितनी जिम्मेदारी लेती हैं l यहाँ बताना जरूरी है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहजोई के परिसर में ही सीएमओ का कार्यालय है ।