पीलीभीत: यूपी के पीलीभीत में प्रधानमंत्री की आवासीय योजना में उनके ही जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगा रहे हैं प्रधानमंत्री योजना के तहत आवास बनबाने के लिए एक लाख बीस हजार रुपए की धनराशि लाभार्थी के खाते में जानी थी मगर लाभार्थी के खाते में धनराशि न भेजकर दूसरी ग्राम पंचायत के एक शख्स के खाते में धनराशि भेज दी गयी l उस शख्स ने बैंक खाते से सभी रुपए निकालकर खर्च कर डाले वहीं ग्राम सचिव सहित जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है ग्राम सचिव और गलत तरीके से रुपए निकालने बाले शख्स के खिलाफ कारर्वाई करने की जगह बीडीओ ने उल्टे मीडिया से सवाल कर डाला कि मीडिया रिक्त पद भरवाए ! शायद इन बीडीओ साहब को शासन की पोस्टिंग नीति पर भी भरोसा इस लिए नहीं है कि उनके मातहत कैसे सरकारी धन की बंदरबांट करें ?
मामला बिलसंडा ब्लॉक क्षेत्र के गांव बिहारीपुर हीरा का है इस गाँव के रामगोपाल को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार द्वारा घर बनाने के लिए एक लाख बीस हजार रुपए की धनराशि उसके बैंक खाते में भेजी जानी थी l उक्त धनराशि रामगोपाल के बैंक खाते में न भेजकर दूसरी ग्राम पंचायत के रहने बाले अपात्र धीरेंद्र कुमार के बैंक खाते में भेज दी गयी धीरेंद्र कुमार ने अपने बैंक खाते से एक लाख दस हजार रुपए निकालकर खर्च कर लिए l जब पीड़ित रामगोपाल को पता चला कि उसके बैंक खाते में नौ महीने पहले एक लाख दस हजार रुपए की दो किश्ते भेजी जा चुकी है तो वह दंग रह गया l पीड़ित रामगोपाल संबंधित अधिकारियों के पास चक्कर लगाकर दु:खी होकर बैठ गया l
आवास बनाने का नियम यह है कि लाभार्थी का जिस जगह पर आवास बनेगा उस जगह का ग्राम सचिव फ़ोटो खीचकर बिभाग की साइट पर अपलोड करेगा तभी आवास बनाने के लिये लाभार्थी के बैंक खाते में पहली किश्त आएगी, जब पहली किश्त आवास बनबाने में खर्च हो जाती है फिर अधबने आवास का फोटो ग्राम सचिव साइट पर अपलोड करेगा तभी दूसरी और तीसरी किश्त लाभार्थी के खाते में भेजी जाती है l
अगर गहराई से देखा जाये तो ग्राम सचिव ओमप्रकाश की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है सचिव ने फर्जी तरीके से किसी लाभार्थी के आवास के फ़ोटो विभाग की साइट पर अपलोड कर गलत तरीके से धीरेंद्र कुमार के बैंक खाते में आवास की धनराशि भिजबा दी इसके अलावा तत्कालीन बीडीओ सतीश कुमार ने बताया कि ग्राम सचिव ने आवास का फोटो अपलोड किया होगा, बगैर फ़ोटो अपलोड किए दूसरी किश्त जारी नहीं हो सकती या तो सचिव जानबूझकर रुपए निकलवा रहा है।
वहीं मौजूदा बीडीओ सी के श्रीवास्तव सचिव ओमप्रकाश का बचाव करते हुए दिखे l
उन्होंने कहा कि एक सचिव के पास एक ग्राम पंचायत होनी चाहिए तभी वह क्षेत्र में पूरा समय दे पाएगा एक सचिव के पास बाइस ग्राम पंचायतें है एक तरह से बाइस ग्राम पंचायतें सर्किल हो जाती है वह कार्य के प्रति न्याय नही कर सकता है l
उन्होंने कहा कि एक सचिव के पास एक ग्राम पंचायत होनी चाहिए तभी वह क्षेत्र में पूरा समय दे पाएगा एक सचिव के पास बाइस ग्राम पंचायतें है एक तरह से बाइस ग्राम पंचायतें सर्किल हो जाती है वह कार्य के प्रति न्याय नही कर सकता है l
बीडीओ का यह भी कहना है कि सबसे बड़ा कारण है सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अधिक काम के कारण रात रात भर सो नही पाते काम के कारण तनाव बहुत रहता है वाट्सअप ईमेल जितने सिस्टम है तत्काल सूचना देने के लिए बाध्य करते हैं दो टाइप की धमकी मिलती है या तो नौकरी से सस्पेंड कर दिया जाता है ऐसे में क्या करेगा एडवांस रिपोर्टिंग नही करेगा तो क्या करेगा नौकरी तो उसे भी बचानी है उसके भी बाल- बच्चे और परिवार है।
अब देखना है कि विकास विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी घोटाले के आरोपी सचिव और उसे बचाने के लिए स्टाफ कम होने का बहाना करने वले बीडीओ के खिलाफ कोई कारवाई करते हैं या पीएम प्रदत्त आवास योजना की धनराशि का पीलीभीत में यूं ही बंदरबांट होता रहेगा ?
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