नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने इराक में 39 भारतीयों की जान बचाने में केंद्र की कथित चूक की विस्तृत जांच के लिए दायर की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया l न्यायलय ने याचिका दायर करने वाले वकील पर भी जुर्माना किया है
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आतंकी संगठन आईएसआईएस ने 39 भारतीयों की हत्या कर दी थीl दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस तरह की याचिकाएं निंदनीय हैं और इस तरह की याचिकाओं से बचना चाहिए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि यह याचिका पीड़ितों के रिश्तेदारों और जिस तरह की पीड़ा से उन्हें गुजरना पड़ा है उसके प्रति गंभीर असंवेदनशीलता दर्शाती है l कोर्ट ने कहा कि इसमें 39 भारतीयों की जान बचाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर गौर नहीं किया गया है l
अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं निंदनीय हैं और इन्हें हतोत्साहित किये जाने की जरूरत है. अदालत ने इसके साथ ही याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के वकील महमूद प्राचा पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया l अदालत ने प्राचा को चार सप्ताह के भीतर अधिवक्ता कल्याण कोष में जुर्माने की रकम जमा करने का आदेश दिया है l
प्राचा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि केंद्र सरकार को काफी समय से जानकारी थी कि मोसुल से अपहरण के बाद आतंकवादी संगठन ने भारतीयों की हत्या कर दी है, लेकिन सर्कार ने खुलासा नहीं किया और यह कहती रही कि वे जीवित हैं, वकील ने दावा किया था कि संसद में विदेश मंत्री द्वारा दिये गए बयान में कई विसंगतियां थीं l
वकील ने बताया कि उन्होंने इन मौतों की जांच की मांग की थी क्योंकि वह जानना चाहते थे कि कब और कैसे भारतीयों की हत्या की गई.? केंद्र और खूफिया ब्यूरो पक्ष के मौजूद अधिवक्ता माणिक डोगरा ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका में कोई जनहित नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए l
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