नई दिल्ली: देश में पैट्रोल डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है, बुद्धवार को देश में पैट्रोल डीजल के भाव अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गए l एनडीए सरकार द्वारा डीजल से सब्सिडी ख़त्म करने और मंहगे टैक्स पैट्रोलियम पदार्थों की मंहगाई की ख़ास वजह बने हैं l हालांकि मंहगे रेट ने तेल कम्पनियों को माला-माल कर दिया है l जबकि यूपीए सरकार के समय में तेल कम्पनियां घाटे में चल रही थीं l
बुद्धवार को दिल्ली में एक लीटर पैट्रोल की कीमत 77.17 तथा डीजल की कीमत 68.34 रही पैट्रोल के रेट में ये 30 तथा डीजल में 26 पैसे प्रति लीटर की एक दिनी बढ़त थी l मुम्बई में पैट्रोल की कीमत 84.99,कलकाता में 79.83, और चेन्नई में 80.11 रहे l बुधवार को यूपी के संभल में पैट्रोल 78.01 तथा डीजल 66.68 रुपए प्रति लीटर रहा l
डीजल पैट्रोल का ये रेट देश के उच्चतम स्तर पर तब है जब एक सप्ताह में डीजल करीब ढाई और पैट्रोल का रेट करीब दो रुपए प्रति लीटर मंहगा हुआ है l
यहाँ ये भी बताना जरूरी है कि कर्नाटक चुनाव के दौरान करीब एक पखबाड़े तक डीजल पैट्रोल के रेट नहीं बड़े थे जबकि सरकार तेल की कीमतों के बड़ने के पीछे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोत्तरी बताती है l कर्नाटक चुनाव के दौरान भी करीब दौसौ से तीनसौ डालर पार्टी बैरल रेट की बढ़ोत्तरी हुई थी लेकिन तेरह मई तक रेट नहीं बड़े l
चुनाव के बाद रेट में आंधी की वजह पिछली कीमतों को कई दिन तक न बढ़ाना था l जो इकठ्ठा उपभोक्ता के सर पर आ पड़ा l
कमोडिटी बाजार में आज भी क्रूड के दामों में क्लोजिंग के मुकाबले हल्का उछाल रहा जो 4900 से ऊपर रहा l इस हिसाब से गुरूवार को भी डीजल पैट्रोल के रेट में बढ़ोत्तरी से इन्कार पेट्रोलियम के जानकारों को मुश्किल हो सकता है l
डीजल पेट्रोल के रेट में ये बढ़ोत्तरी तब है जब अंतर्राष्टीय बाजार में डीजल पैट्रोल के रेट पिछली यूपीए सरकार के समय से कम हैं l यूपीए सरकार के समय में सामान्य भाव 4700 से 5800 प्रति बैरल था l सीरिया पर अमेरिका के हमले की असामान्य खबर के बाद क्रूड का रेट 1100 बैरल प्रति डालर तक पहुँच गया था l तब अकेला क्रूड ही मंहगाई की और नहीं भागा था सोना 55000 प्रति दस ग्राम, चांदी 55000 रुपए प्रति किलो तांबा 500 रुपए प्रति किलो से ऊपर का अलावा लेड, जिंक समेत मेटल भारी मंहगे हुए थे l निवेशकों का हजारों करोड़ रुपया शेयर बाजार में डूब गया था l बाबजूद डीजल 66 रुपए के पार नहीं गया था कारण था यूपीए सरकार उस समय एक लीटर डीजल पर करीब पंद्रह रुपए की सब्सिडी देती थी l
मगर मजबूत देश की मजबूत अर्थ पॉलिसी के तहत एनडीए द्वारा डीजल से बंद की गयी सब्सिडी बंद ही रही तो रेट कहाँ तक पहुँच सकते हैं और डीजल के रेट बड़ने से बड़ने वाले भाड़े के बाद मंहगाई कहाँ तक पहुंचेगी अंदाजा लगाना बेहद कठिन है l ऐसे में यदि क्रूड के रेट 5800 तक पहुंचे तब हालात क्या होंगे ?
तेल के रेट में देश में लगी आग को बुझाने के सरकार के पास तीन आम हल हो सकते हैं l सरकार डीजल पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाए, केंद्र और राज्य टैक्स कम करें अथवा केंद्र सरकार फिर से सब्सिडी शुरू करे l अन्यथा डीजल पैट्रोल के रेट में लगी वह आग जिससे जनता जल रही है उसकी लपटें 2019 में केंद्र की एनडीए सरकार तक न पहुँच जाए ?
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